Sunday 24 December 2017

प्रेस विज्ञप्ति 24 दिसम्बर, 2017


भू स्वामी संघर्ष समिति एवं माटू जनसंगठन




बाँध नहीं चाहिए : पिंडर गंगा बहती चाहिए

देवसारी बांध की पुनर्वास जनसुनवाईयां विरोध के कारण रद्द
 उत्तराखंड के चमोली जिला में पिंडरगंगा नदी पर प्रस्तावित 252 मेगावाट के देवसारी बांध, के लिए बिना किसी तरह की पूर्व व सही सूचना दिए देवसारी बांध से प्रभावित होने वाली निजी भूमि की जनसुनवाई 20 दिसंबर, 2017 से चालू की गई. थराली में चेपड़ो, सुनला, गड्कोट, चिडिंगा तल्ला गाँवो के लोग जब जनसुनवाई के लिए पहुंचे और अधिकारी नदारत थे. घंटो बाद आकर मात्र 10 मिनट में उन्होंने सुनवाई निपटाई. लोगों ने जमकर विरोध किया लोगों का कहना था कि कंपनी में कब सर्वे किया, कब आए, प्रभावितों की सूची क्या है? यह सब कुछ भी नहीं बताया गया?
 ए० डी० एम० ने कहा की गांव स्तर पर जनसुनवाई करेंगे. जिसके बाद सब अधिकारी चेपड़ो और साहू गांव पहुचे. जंहा मात्र 10 मिनट में जनसुनवाई निपटा दी गई. 22 दिसंबर को पदमल्ला, तलौर गांव में जनसुनवाई करने ए० डी० एम०, तहसीलदार, कंपनी के अधिकारियों के साथ पहुंचे. लोगों ने उनका घेराव किया और बिना सहमति के बांध थोपने का आरोप लगाते हुए बांध निर्माण को तुरंत निरस्त करने की मांग की गई. “सतलुज कंपनी वापस जाओ के नारों के  साथ आधे घंटे से ज्यादा अधिकारियों का घेराव किया गया. ग्रामीणों ने कहा कि यह क्षेत्र भूकंप, दैविक आपदा, जैव विविधता और धार्मिक दृष्टि से अतिसंवेदनशील है परियोजना से विकास नहीं विनाश होगा.
ज्ञातव्य है की 2009 से पर्यावरण जनसुनवाईयों में लोगो का जबरदस्त विरोध रहा. देवसारी बांध संबंधी पर्यावरण आकलन रिपोर्ट व पर्यावरण प्रबंधन योजना लोगो को ना तो दी गई ना समझाई गई। दो जनसुनवाई रद्द होने के बाद 20 जनवरी 2011 को पिंडरगंगा के तट पर चेपडो गांव में हुई तीसरी जनसुनवाई ग्रामीणों की आवाज को दबा कर पूरी की गई। लोगो को बात रखने का मौका नहीं दिया गया। कंपनी के अधिकारियों ने लोगों को रोका। पुलिस लगा कर लोगों को मंच पर अकेले तक नहीं जाने दिया गया। मंच से बांध के समर्थन और विरोध में हाथ खड़े करने की आवाज दी गई। यह पूरी तरह एक सफल नाटक था जिसमे लोगों को धोखा देकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी जिला प्रशासन के अधिकारी भाग गए। जिसके बाद भेजे गए किसी पत्र का जवाब नहीं दिया गया। 3 अप्रैल को हमने लोक जन सुनवाई का आयोजन किया जिसमे हजारो लोगो ने आकर पिंडरगंगा को अविरल बहने देने की घोषणा की. देश के माननीय लोग इसके गवाह रहे. सरकार को समय समय पर पिंडर की जनता ने बता दिया है की हमें बांध नहीं चाहिए. 2009 से 2017 तक बांध रुका ही हुआ है. सन 2013 की आपदा में यहां की परिस्थिति पूरी तरह बदल गई है. गांवो में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ी है. पिंडर नदी का रुख बदल गया है.
13 अगस्त को माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने उत्तराखंड के सभी बांधो की किसी भी तरह की स्वीकृत पर रोक लगा दी थी. पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने धोखे से हुई जनसुनवाई को मानते हुए मात्र उसमें उठाए कुछ मुद्दों पर ध्यान दिया और अपनी ओर से पर्यावरण  स्वीकृति के लिए बांध को अनुमोदित किया किंतु साथ में यह शर्त लगाई थी पर्यावरण स्वीकृति वन स्वीकृति के बाद ही ली जाए. वन आकलन समिति की बैठकों में देवसारी बांध के पीछे कैल नदी पर स्थित 5 मेगावाट की देवाल  परियोजना का मुद्दा सामने आया. 5 मेगावाट की देवाल परियोजना, देवसारी बांध के जलाशय में डूब रही है. देवसारी बांध के परियोजना प्रयोक्ता सतलुज जल विद्युत निगम ने वन आकलन  समिति के सामने कहा है कि वह एक दीवार बना कर देवाल परियोजना को सुरक्षित कर देगी. यह समझ से परे है कि एक नदी को दीवार बनाकर कैसे रोका जा सकेगा? इसी तरह की तमाम ग़लतियों के साथ इस बांध को आगे धकेला जा रहा है.
नवम्बर, 2017 में पिंडर घाटी के हिमनी गाँव में राज्य के मुख्यमंत्री ने भी घोषणा की कि 5 नहीं 252 मेगावाट का बांध चाहिए. जिसका पूरी घाटी में जबरदस्त विरोध हुआ.
महत्वपूर्ण बात है कि गांव को अभी तक वन अधिकार कानून 2006 के अंतर्गत अधिकार भी नहीं दिए गए हैं। ऐसे में अचानक से पुनर्वास संबंधी बैठकों का, लोगों को पुनर्वास नीति उपलब्ध कराए बिना किये जाना गलत है। हम पूरी तरह से इस असंवैधानिक प्रक्रिया का व बांध का विरोध करते हैं.
हम मांग करते हैं कि:-
-बांध संबंधी सभी कागजातों, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन रिपोर्ट पर्यावरण प्रबंधन योजना को हिंदी में लोगों को दे कर समझाई जाए।
उसके बाद ही जनसुनवाई का आयोजन किया जाए. किन्तु सरकार अपनी कमियों को छुपाकर किसी भी तारा से बांध को बनाना चाहती है. जिसे घाटी की जनता नहीं होने देगी.

दिनेश मिश्र, महिपत सिंह, जीवनचन्द्र, कपूरचन्द्र, मुन्नी देवी, केदार दत्त, देवकी देवी, हेम मिश्र, विमलभाई

Friday 15 December 2017

प्रेस विज्ञप्ति: 8-12 2017

 

माटू जनसंगठन टिहरी 
            विस्थापित जन कल्याण समिति                                                                                                                  ----------------------------------------------------------------------------------------------------
 प्रेस विज्ञप्ति:                                                             8-12 2017
टिहरी बांध विस्थापितों की सुध नहीं और नए बांधो पर जश्न?

टिहरी बांध से हुये विस्थापितों व प्रभावितों की समस्याओं का समयबद्ध निराकरण कब होगा?



उत्तराखंड का गंगा पर बना बहु प्रचारित टिहरी बांध प्रभावित अभी भी पानी जैसे मुलभूत अधिकार के लिए तरस रहे है उनकी सुविधाओ पर दबंगों का कब्ज़ा हो रहा है.
बांध बनने 11 सालो बाद भी टिहरी बांध के पुनर्वास की समस्याओं का समाधान अभी तक नही हो पाया है राज्य सरकार भी अपने स्तर पर हमारी समस्याओं का कुछ समाधान कर ही सकती है। माननीय मुख्यमंत्री जी आपने पुनर्वास की समस्याओं को देखते हुये जून 2017 में केन्द्रीय बिजली मंत्री के साथ एक बैठक में टिहरी झील का पानी 825 मीटर तक ही रखने के फैसला किया था।
टिहरी बांध विस्थापितों के ग्र्रामीण पुनर्वास स्थलों, हरिद्वार अभी भी पुनर्वास निति के अनुसार जिन की मूलभूत सुविधाओ के हक़दार है वो अभी तक नहीं मिल पाई है.
हरिद्वार जिले में पथरी भाग 1, 2, 3 4 में टिहरी जिले से लगभग 40 गांवो के लोगो को पुनर्वासित किया गया है. सुमननगर विस्थापित क्षेत्र व रोशनाबाद विस्थापित क्षेत्र  में भी भागीरथी भिलंगना नदी घाटी के कितने ही गाँवो जैसे खांड-बिडकोट, सरोट, छाम, सयांसू आदि गांवों से प्रभावितों को विकास का सपना दिखा कर लाया गया.  
किन्तु जो मूलभूत सामुदायिक सुविधायें अधिकार रुप में पुनर्वास के साथ ही मिलनी चाहिये थी वो 37 साल बाद भी सरकार नहीं दे पाई है।  लोगो का जीवन दुष्कर हो गया है।
भूमिधर अधिकार, स्वास्थयः प्राथमिक चिकित्सा, जच्चा-बच्चा केन्द्र आदि भी नही है। शिक्षा के लिए समुचित व्यवस्था नहीं. अंदरूनी इलाको में यातायात की कोई सरकारी व्यवस्था तक नहीं है। जंगली जानवरों से रक्षा हेतु सुरक्षा दिवार का काम भी कब पूरा होगा? बिजलीः नीति के अनुसार 100 यूनिट बिजली मुफ्त मिलनी चाहिये थी। जो नहीं मिली. पेयजल व सिंचाईः इसके लिये विस्थापितों ने ज्यादातर अपनी व्यवस्था की है। सिंचाई के लिये बरसों की मांग के बावजूद हमें पास बहती गंगनहर से सिंचाई का पानी नही मिल पाया है। मंदिर, पितृकुटटी, सड़क, गुल आदि की सुविधायें भी सालों बाद व्यवस्थित रुप में नही मिल पाई है। पीने का पानी विस्थापितों का पुनर्वास नीति के अनुसार हक है।
सुमननगर में भी सिंचाई व पीने के पानी की भयंकर समस्या है। जबकि मात्र 1 किलामीटर के दायरे में टिहरी बंाध से दिल्ली व उत्तर प्रदेश को पानी जाता है ।
टिहरी बांध से हो रहे 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली के लाभ से प्रभावितों की समस्यायों का समाधान संभव है। राज्य सरकार को प्रतिदिन आमदनी भी हो रही है। जो आज तक करीबन् अढाई हजार करोड़ से ज्यादा होगी। जिसे टिहरी बांध विस्थापितों के लिये खर्च करने का प्रावधान है। ये पैसा कान्हा गया?
हम लगातार सरकारों से यह मांगे विभिन्न समयों पर उठाते आ रहे हैः-
  • विस्थापितों को मूलगांव जैसा ‘‘संक्रमणी जैड ए श्रेणी क‘‘ स्तर वाला भूमिधर अधिकार तुरंत दिये जाये। जिसके लिये सभी ग्रामीण पुनर्वास स्थलों को राजस्व ग्राम भी घोषित करने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाये। जिसके लिये अलग से कर्मचारी नियुक्त किये जाये।
  • हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले टिहरी बांध विस्थापितों की शिक्षा, स्वाथ्यय, यातायात, सिंचाई व पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधायें तुरंत पूरी की जाये। इन कार्यो के लिये टिहरी बांध परियोजना से, जिसमें कोटेश्वर बांध भी आता है, मिलने वाली 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली के पैसे का उपयोग किया जा सकता है।
  • टिहरी बंाध से दिल्ली व उत्तरप्रदेश जाने वाली नहरों से बांध प्रभावितों को पानी मिलना चाहिये।
  • पुनर्वास के लिये इंतजार कर रहे प्रभावितों का तुरंत पुनर्वास किया जाये।
·         ऊर्जा मंत्रालय की जलविद्युत नीति 2008 के पेज नम्बर 36 अध्याय 10.1. आई अनुसार विस्थापितों को 10 साल तक 100 यूनिट मुफ्त बिजली या नकद दिये जाने के प्रावधान को लागू करें।
·         रोशनाबाद की समस्या पर अविलम्ब कार्यवाही हो. विस्थापितों को पानी उनके ही अधिकार में मिलना चाहिए. ये उनका हक़ है और सरकार की जिम्मेदारी है
 इन सब कामों के लिये समयबद्ध कार्यक्रम लिया जाये।
इस समय केन्द्र, उत्तराखंड व उत्तरप्रदेश राज्यों में एक ही दल की सरकारें है। यह एक सुनहरा मौका है कि टिहरी बांध विस्थापितों की समस्याओं का समाधान आसानी किया जा सके। इसके लिये मजबूत इच्छा शक्ति व कर्मठ सरकारी महकमें की जरुरत है। जिसकी हमे सरकार से अपेक्षा है।
हम लगातार सरकारों से मांग उठा रहे है. किन्तु सरकारे अनसुनी ही कर रही है. प्रश्न ये है की फिर नए बांधो पर कैसे जश्न हो रहा है?
माटू जनसंगठन,  टिहरी विस्थापित जन कल्याण समिति के साथी

पूरण सिंह राणा,   सोहन सिंह गुंसाई,   राघवानंद जोशी,   जयकिशन न्यूली,   अतोल सिंह गुंसाई, विमल भाई





रोशनाबाद में विस्थापितों को उनका पानी भी नहीं:--
रोशनाबाद सामुदायिक भवन, प्राथमिक स्कूल इमारत पर किसी नवोदय नगर विकास समिति का कब्जा है। भी सड़क नही, सिंचाई व पीने के पानी की व्यवस्था, स्वास्थ्य केन्द्र, स्कूल व गन्दे नाले यानि डेनेज की व्यवस्था नही है। ग्यारह हजार अपने ही सामुदायिक भवन में किसी काम के लिए देने पड़ते है. पीने के पानी के कनेक्शन के लिए 5000 और हर महीने 300 देने होते है. जिसकी अनियमितताओं के बारे में बहुत शिकायत करने पर सीडीओ हरिद्वार ने जांच की। जिसकी रिर्पोट में इस समिति के चुनाव को गलत बताया गया है तथा वित्तीय लेने-देन में बहुत अनियमितता पाई गई है। किन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई अभी तक. बल्कि शिकायत करने वालो को डर के साये में जीना हो रहा है.
श्रीमान चंद्रमोहन पाण्डे जी, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर ने 12 अक्टूबर 2017 को पुनर्वास विस्थापित क्षेत्र की समस्याओं को स्वयं देखने की बात स्वीकार की थी. विस्थापित छेत्र रोशनाबाद में जांच के लिए अधिशासी अभियंता को भेजा गया, जो कि दिनांक ३ नवम्बर को आये ओर मोकै पर सारी समस्याये देखी. सड़क नहीं , स्वास्थ्य सेवाएं नहीं, स्कूल नहीं , सामुदायिक भवन पर कब्जा और पीने के पानी की व्यवस्था  पर भी  बाहरी लोगों का का कब्जा. अधिशासी अभियंता ने स्वय देखा कि प्रोपर्टी डीलरो की नवोदय नगर समिति ने सामुदायिक भवन एंव ओवर हेड टैंक पर कब्जा कर रखा है।

अधिशासी अभियंता के जाने के बाद नवोदय नगर समिति के कुछ लोगों श्री अतुल गोसाई के  प्लाट का पानी का नल उखाड़ कर अपने साथ ले गए  तथा धमकाया गया कि यहां से चले जाओ। यह पूरी तरह गुंडागर्दी है . सिडकुल थाना हरिद्वार में इसकी लिखित शिकायत भी दी गई है। इस संदर्भ में जब श्री आर के गुप्ता जी से 9 नवंबर को जब संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि वे दिल्ली से आए अधिकारियों के साथ व्यस्त हैं इसलिए उन्होंने हमें मंगलवार को संबंधित कार्यों के लिए आदेश की प्रति देने का  बात कही है. किन्तु ये आदेश नहीं रिपोर्ट थी जो की पुनर्वास निदेशक को भेजी गई थी.

टिहरी विस्थापित जन कल्याण समिति रोशनाबाद  पुनर्वास निदेशक श्रीमती मोनिका जी को दो बार मिल चुके है, कितनी बार श्री चंद्रमोहन पांडे जी को मिले. अभी 4 दिन पहले भी मिले. रिपोर्ट पुनर्वास निदेशक श्रीमती मोनिका जी के पास है और लोगो को अभी तक आश्वासन ही मिला है. टिहरी विधायक श्री धन सिंह नेगी जी ने, हरिद्वार के पूर्व विधायक श्री अमरीश जी ने व प्रताप नगर के पूर्व विधायक विक्रम सिंह नेगी भी पुनर्वास निदेशक से बात की है.

श्रीमती मोनिका जी हरिद्वार में अधिकारी रह चुकी है उनसे अपेक्षा है की वे तुरंत न्याय के हक़ में आदेश देंगी. हम राह देख रहे है की कब ये आश्वासन हमारे अधिकार का पानी बनेगा. न्याय में देरी न्याय से वंचित करना होता है.
विस्थापितों को पानी उनके ही अधिकार में मिलना चाहिए. ये उनका हक़ है और सरकार की जिम्मेदारी है


Monday 4 December 2017

Press Note 4-12-2017 महाकाली लोक संगठन

महाकाली लोक संगठन
झूलाघाटपिथोरागड़. उत्तराखंड
Delhi contact: National Alliance of People’s Movements. 6/6-SF, B, Pant Nagar, Jangpura. New Delhi, Delhi 110014
फेसबुक:Save Mahakali River  ब्लॉग: http://www.savemahakali.wordpress.com  Email:savemahakali@riseup.net     
                                             
प्रेसविज्ञप्ति                                                                                                  4 दिसम्बर 2017

{English Translation after Hindi, photos can be seen on our blog & FB}

पंचेश्वर और रुपाली गाड बांध परियोजनाओं पर पर्यावरण मंत्रालय का सुरक्षा घेरा टूटा

सह सचिव ने मामले को देखने और कार्यवाही का आश्वासन दिया

पिथोरागड़, अल्मोड़ा में प्रदर्शन, विरोध में उक्रांद व् उपपा साथ आये

दिल्ली व उत्तराखंड में पंचेश्वर और रुपाली गाड बांध परियोजनाओं की स्वीकृति संबंधित प्रक्रियाओं को लेकर महाकाली लोक संगठन, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, उत्तराखंड क्रांति दल, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, उत्तराखंड एकता मंच, दिल्ली समर्थक समूह आदि ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
दिल्ली में महाकाली लोक संगठन के साथ अन्य साथी पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सुरक्षा घेरे को तोड़ अंदर घुसे. दिल्ली में महाकाली लोक संगठन के साथ अन्य साथी पर्यावरण वन एवंजलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सुरक्षा घेरे को तोड़ अंदर घुसे. थोड़ी मशक्कत के साथ सुरक्षाकर्मियों ने सबको मंत्रालय की इमारत के बाहर किया किंतु सह सचिव श्री ज्ञानेश भारती ने एक प्रतिनिधिमंडल कोमिलने का समय दिया जिसमें श्री हरेंद्र अवस्थी श्री विमल भाई  श्री श्रीधर गए। विमल भाई ने जनसुनवाई में हुई अनियमितताप्रक्रियागत कमियांपुलिस बल का प्रयोगराजनैतिक हस्तक्षेप दबाव  पूरेप्रभावित क्षेत्र में अन्य पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन की बात रखी। श्री हरेंद्र अवस्थी ने कहा कि आपने अमरूदों के बाग सुने होंगे आप अमरूदों के बाग कहते हैं हमारे यहां अमरूदों के जंगल हैं पलायन पूरेउत्तराखंड में सबसे कम है हम पूरी तरह गैर जानकारी के अंधेरे में हैं। श्री श्रीधर ने पर्यावरण संबंधी आंकड़े गलत और अध्ययन अपूर्ण बताएं
प्रतिनिधिमंडल ने सह सचिव से आग्रह किया कि सभी अध्ययन समय के साथ पूरे हो हमारी मांग के अनुसार जन सुनवाई पूरी प्रक्रिया  पर्यावरणीय कानूनों की पालन के साथ हो विशेषज्ञ आकलन समितिफिलहाल स्वीकृति को रोकें.
 श्री ज्ञानेश भारती ने लगभग 20 मिनट तक बातें गई उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि जो कि बहुत मजबूत था कि वह 24 अक्टूबर को हुईविशेषज्ञ आकलन समिति को भेजें सारे पत्र को देखेंगे और हमारेउठाए मुद्दों को देखेंगे उन्होंने कहा कि कल EAC की बैठक होने दीजिए मैं मामले को देखता हूं.
 पर्यावरण के मंत्रालय के बाहर संगठन ने इस चेतावनी के साथ धरना समाप्त किया कि यदि मंत्रालय ने बिना इन मुद्दों को देखें स्वीकृति दी तो उसको लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया झेलनी होगी हम अपने हरसंवैधानिक अधिकारों का उपयोग करेंगे.
अल्मोड़ा में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी  साथी संगठनों ने जिलाधिकारी के कार्यालय पर प्रदर्शन के बाद दिसंबर को दिल्ली होने वाली पर्यावरण विशेषज्ञ आकलन समिति की बैठक के लिए पत्र भेजा. पार्टी केकेंद्रीय अध्यक्ष श्री पीसी तिवारी ने जिले में हुई जन सुनवाई की अनियमितताओं पर रोष व्यक्त करते हुए संवैधानिक अधिकारों की अवहेलना पर आंदोलन की चेतावनी दी।  रेखा धस्माना जी ने कहा कि  यहलोगों के पहाड़ के कुमाऊं क्षेत्र के पर्यावरण और लोगों के जीने के हक पर हमला है। गोविंद राम वर्मा ने कहा कि हमे विकास के नाम पर विस्थापन कुबूल नहीं।
पिथौरागढ़ में भी महाकाली लोक संगठन के साथी व उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ साथियों ने उप जिलाधिकारी के माध्यम से विशेषज्ञ आकलन समिति को ज्ञापन भेजामहाकाली लोक संगठन के सुमित महर ने गांवों में जानकारी का अभाव की बात कही 84 से ज्यादा गांव प्रभावित हैं, अंदरुनी इलाके हैं, सरकार जनता को अंधेरे में रखकर कागजी कार्रवाई पूरी कर रही हैं. इससे विकास के नाम पर धोखा जाहिर होता है. लोक संगठन की ही मनोज मटवाल ने पिथौरागढ़ के पर्यावरण पर होने वाले असरों को नकारे जाने पर चिंता व्यक्त की. उत्तराखंड क्रांति दल के संस्थापक सदस्य श्री काशी सिंह ऐरी जी ने कहा कि हमारी पार्टी पूरे उत्तराखंड में जनाधिकारो पर सरकारी हमले की पोल खोलेगी. उत्तराखंड की अस्मिता इस समय खतरे में है.  श्री चमन सिंह ग्राम प्रधान व श्री तारा सिंह वन सरपंच फल्दु ने इन अनियमितताओं पर अपने ग्राम की ओर से ज्ञापन भी दिया. तडेमियां गांव से श्री केशव सिंह ने भी अपनी पीड़ा व्यक्त की. सेल गांव के प्रधान श्री वजीर सिंह ने अन्याय को ना सहने की बात कही. प्रदर्शन के बाद उप जिलाधिकारी श्री पांडे को के माध्यम से पर्यावरण मंत्रालय को ज्ञापन भेजे गए.
उत्तराखंड में भारत नेपाल सीमा के बड़े बजार झूलाघाट में भी प्रदर्शन हुआ. श्री हरिवल्लभ भट्ट ने अपनी धरती ना छोड़ने की बात कही श्री विप्लव ने कहा कि विस्थापन और पर्यावरण जैसे बड़े सवालों पर सरकार खोखले साबित हुई है ग्रामीण व्यापारियों ने पुरानी और पारंपरिक बाजार को बनाए रखने की घोषणा की.
आज के प्रदर्शन में हम यह बात घोषणा कर रहे हैं कि यदि सरकार ने अपने गलत कदमों को नहीं रोका तो गांव से लेकर दिल्ली तक हम कड़ी प्रतिक्रिया देंगे.

सुरेंद्र आर्य,  अंतरा, हिमशी सिंह
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Environment Ministry's gate breached: environment clearace issue of Pancheshwar and Rupaligad Dams

                      Joint -Sec.assured to look into matter seriously 

  Protest hold in Pithoragar and Almora: UKD and UPP came insupport

The wrong process of dam clearance for the Pancheshwar and Rupaligad Dams have been strongly condemned by Mahakali Lok Sangathan, Uttarakhand Parivartan Party, Uttarakhand Kranti Dal, the National Alliance of Peoples Movements: Uttarakhand Akta Manch, Delhi Solidarity Group and others. 
In Delhi, Mahakali Lok Sangathan and other members in solidarity breached the gates of the Environment Ministry and entered with banners and posters. With a little embarrassment, the security personnel took everyone outside the ministry building.
 
 Later, Joint-secretary Mr. Dnyanesh Bharti gave time to meet a delegation, in which Mr. Harendra Awasthi Mr. Vimal Bhai and Mr. Shridhar visited. Vimal Bhai talked of violation of the irregularities, procedural deficiencies, use of police force, political interference pressure and other environmental laws in the public hearings. Mr. Harendra Awasthi spoke about how instead of gardens of the Guava fruit, we have forests of the guava fruit. Migration is the lowest in  our area in comparison to whole of Uttarakhand. We have been kept in the dark and no information has reached us. Mr. Shridhar said that the environmental figures are incorrect and studies are incomplete.
 
The delegation requested the Joint-Secretary that all the studies should be completed in time, according to our demand. The Expert Appraisal Committee should not recommend the environment clearance. 
Mr. Gyanesh Bharti listened to us for about 20 minutes and he assured us that he would look into all the documents received by the Expert Appraisal Committee  for October 24th, 2017. Further he would also look into the issues raised by us at the EAC meeting on 5th December.  
Outside the Ministry of Environment, the organizations ended the protest with this warning that if the ministry approves the dams without looking into these issues then it will have to face a strong reaction from the people. The protests will be arranged within every constitutional right. 
 In Almora, Uttarakhand Parivartan Party and supporting organisations held a protest in front of the office of the District Magistrate. Post this they met the District Magistrate and delivered a letter to her for the EAC in relation to the meeting they will be holding on 5th December to make a decision regarding the clearance of the dam. The partys President Mr. P. C. Tiwari, while expressing his anger at the irregularities of the public hearing in the district, warned of the move against the neglect of constitutional rights. Rekha Dhasmana ji said that it is an attack on the people of the Kumaon region, the people of the mountain and the right to livelihoods of people. Govind Ram Verma said that we will not tolerate displacement in the name of development.
Also in Pithoragarh, the members of Mahakali Lok Sangathan and senior associates of Uttarakhand Kranti Dal sent a memorandum to the Expert Appraisal Committee.  Sumit Mehar of the Mahakali Lok Sangathan said there is a lack of  information in the villages, more than 84 villages are affected, the interior areas, the government is carrying out the paperwork keeping the public in the dark. This leads to deception in the name of development.
 Manoj Matwal of the same expressed concern over the decline of Pithoragarh's environment. Shri Kashi Singh Ari, founder member of the Uttarakhand Kranti Dal said that our party will take the issue of governments attack on people’s rights in entire state of Uttarakhand. The sovereignty of Uttarakhand is in danger at this time. 
 
Shri Chaman Singh,  Gram Pradhan and Mr. Tara Singh Van Sarpanch of Haltu village also gave a memorandum on behalf of their villages on these irregularities. Shri Keshav Singh also expressed his anguish with the Tademian village. Mr. Vazir Singh, the head of Sel village, said that injustice should not be tolerated. After the demonstration, the memorandum was sent to the Ministry of Environment through the Sub-Divisional Magistrate, Mr. Pandey.
 
In Uttarakhand there was also a demonstration in Jhulaghat, a huge market in the Indo-Nepal border. Mr. Harivallabh Bhatt said that he did not want to leave his land, Mr. Viplav bhatt said that the Government has proven to be hollow on big questions like displacement and environment; Rural traders have announced the retention of old and traditional markets.
In todays demonstration, Mahakali Lok Sangathan and associates announced that if the government does not stop its move towards the destruction of Uttarakhand, then we will raise voices and masses from the villages to the cities and pour into the streets.

Surender Arya, Antra, Himshi Singh