Sunday 15 June 2014

प्रैस विज्ञप्ति 15.06.2014

श्रद्धांजलि उपवास स्थल,  श्रीनगर के आईटीआई के पास.........

प्रैस विज्ञप्ति 15.06.2014 

              कॉबिग अंतिम शव की बरामदगी तक जारी रहेः
        जिम्मेंदार अधिकारियों व राजनेताओं पर कार्यवाही हो।

                       बांध कंपनियों को दण्डित करो। 




उत्तराखंड में अलकनंदागंगा के किनारे श्रीनगर के आईटीआई के पास अगस्त-सितंबर 2012 व जून 2013 आपदा उत्तराख्ंाड में मारे गये लोगो की आत्माओं की शांति के लिये हवन  हुआ। हवन के साथ ही श्रद्धांजलि उपवास
शुरु हुआ। 24 घंटे का उपवास श्रीविमलभाई, श्रीपूरण सिंह राणा, श्रीमति  इन्दु उप्रेती, श्रीआलोक पंवार, श्रीचंद्रभानु तिवारी ने रखा है। अन्य काफी साथियों   ने भी दिनभर का उपवास रखा है। शांति हवन में श्रीनगर के गणमान्य महिला-पुरूष तथा आयोजक समितियों की बांध प्रभावित क्षेत्रों के प्रतिनिधि व श्रीनगर के उपजिलाधिकारी श्री रजा अब्बास जी ने भी शांति प्रार्थना में हिस्सा लिया।

श्री रजा अब्बास जी से निवेदन किया गया कि श्रीनगर में आपदा के कारण श्रीनगर बांध की मक आई है उससे लोगो का जीवन मुश्किल हो गया है। प्रशासन उस पर तुरंत ध्यान दे। चूंकि इससे लोगो के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभावों पड़ रहा है।

श्रीनगर के आईटीआई के पास भारी धूल भरे उपवास स्थल पर चल रही बैठक में विभिन्न साथियों ने श्रद्धांजलि उपवास के कारणों और अपने संघर्षो पर लोगो ने अपनी बात रखी। केदारनाथजी में पड़ी हजारों लाशें आज भी सरकार की
उदासीनता, लापरवाही व हृदयहीनता को चुनौति दे रही है। जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री विजय बहुगुणा ने 32 करोड़ रुपये सिर्फ राज्य सरकार की आपदा में राहत कार्य के प्रचार के लिये मीडिया में विज्ञापन पर खर्च किये। अब सालभर बाद यात्रा के समय सारी पोल खुल गई। राज्य सरकार को अभी भी समझना होगा और मृत शरीरों की कॉबिग अंतिम शव की बरामदगी तक जारी रखनी होगी। केदारनाथजी में पूजा चालू करने का शोर मचाना ये एक चाल थी ताकि
शवों को ढू़ढने काम जल्दी जल्दी समाप्त किया जाये। केदारनाथजी की पूजा जल्दी करने को तर्क के रुप में इस्तेमाल किया गया और शवों को वहंा के मकानों में ही बंद कर दिया गया। वे ही शव आज मिल रहे है। यदि खोज और चलती
तो शायद कोई जीवित मिल जाता।

हम सभी संगठन साल भर से आपदा में बांधों के कारण हुई बर्बादी पर आवाज़ उठाते रहे है। स्थानीय से लेकर जिला, राज्य और केन्द्र सरकार तक बाद पहुंचाई जिसके बाद अब हमने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में केस दायर करने शुरु हुये। हमारे केस चालू है। न्यायालय अपना कार्य कर रहा है। दुःखद पहलू यह है कि सरकारे अपना कर्तव्य पूरा नही कर रही है। बांध कपंनियंा तो अभी भी वैसा ही काम कर रही है जिसके कारण आपदा में हुई बर्बादी में वृद्धि हुई। उदाहरण के लिये  श्रीनगर में जीवीके बंाध कंपनी उसी तरह नदी में मक का निस्तारण कर रही है। जिसको अभी 13 जून को श्रीनगर में पहुंचे
आयुक्त ने भी देखा और अपनी चिंता जताई। जेपी कंपनी भी उनके विष्णुप्रयाग बांध में उनकी ही गलती के कारण बांध में इकट्ठे हुये मलबे को नीचे अलकनंदानदी नदी में डाल रही है। इस पर सरकार को कड़ा कदम उठाना चाहिये।

सभा में एकमत से मांग की गई कीः-
  • राज्य सरकार को मृत शरीरों की कॉबिग अंतिम शव की बरामदगी तक जारी रखनी होगी। डीएनए टेस्टिग  सही तरह से हो ताकी देश भर के पर्यटकों और तीर्थयात्रियों का विश्वास उत्तराखंड पर हो और वे बराबर आते रहे।
  • आपदा के दौरान की गई लापरवाहियों के जिम्मेंदार अधिकारियों व राजनेताओं पर कार्यवाही हो।
  • बांध कंपनियों को उनकी जानबूझ कर की गई लापरवाहियों के लिये दण्डित किया जाये।

विजयलक्ष्मी रतूड़ी, चंद्रमोहन भट्ट, विमलभाई, पूरण सिंह राणा, इन्दु उप्रेती, आलोक पंवार, चंद्रभानु तिवारी व जगदम्बा रतूड़ी

विष्णुप्रयाग बांध आपदा संघ, श्रीनगर बांध आपदा प्रभावित समिति, अस्सी गंगा बांध आपदा प्रभावित समिति, भू-विस्थापित संघर्ष समिति, भूस्वामी संघर्ष समिति , माटू जनसंगठन

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हम मात्र राहत नही वरन् आपदा के कारणों को सही करने हेतु प्रतिबद्ध।

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